रेस कोर्स रोड इंदौर के पक्षी--- संक्षिप्त परिचय।
पंकज खन्ना
9424810575
रेस कोर्स रोड इंदौर के पक्षी
मार्च 2020 के आखिरी हफ़्ते में कोरोना से निपटने के लिए हर जगह लॉकडाउन लगा दिया गया था। घर के बाहर की एकमात्र गतिविधि थी छत पर जाकर टहलना और आसपास के पक्षियों को देखना।
हम (मैं और मेरी पत्नी श्रीमती प्रीति खन्ना) अपने वर्तमान पते सुखसागर अपार्टमेंट्स, रेसकोर्स रोड पर सन 2007 से रह रहे थे; लेकिन अपार्टमेंट बिल्डिंग की छत पर कभी नहीं जाते थे। चूंकि हम कई सालों से सुबह टहलते रहे हैं, इसलिए लॉकडाउन में घूमना-फिरना भी बंद नहीं करना चाहते थे। हालांकि कोरोना से डरे हुए थे, लेकिन हमने अनिच्छा से गच्ची (छत, टेरेस) पर ही चलना शुरू कर दिया।
और यह अनुभव काफी मनोरंजक, ज्ञानवर्धक और सामाजिकता से परिपूर्ण रहा! पक्षियों को कहीं भी देखना मनोरंजक और ज्ञानवर्धक होता ही है। आस-पास के अपार्टमेंट की छतों पर काफी पड़ोसी और परिचित लोग टहलते हुए और योग करते हुए दिखने लगे। दूर से एक दूसरे को देखते थे और मोबाइल पर बतिया लेते थे। सामाजिक संपर्क और संवाद भी हो जाता था।
अब आपको थोड़ा सा रेसकोर्स क्षेत्र के इतिहास और भूगोल के बारे में भी बता दें। आज ये एरिया शहर के बीचों बीच है लेकिन होलकरों और अंग्रेजों के जमाने में ये क्षेत्र शहर से बहुत दूर हुआ करता था; और ये जंगल ही कहलाता था। उस जमाने के प्रभावी लोगों ने यहां एक-एक एकड़ के प्लॉट बहुत सस्ते में खरीदे और अपने-अपने घर बनाए। तीन-चार पीढ़ियों के बाद कुछ बंगलों का विभाजन हुआ तो भी काफी बड़े-बड़े मकान आज भी यहां पर देखे जा सकते हैं। कुछ प्लॉट में मल्टीस्टोरी अपार्टमेंट्स भी बन गए , लेकिन वो गिने चुने ही हैं।
किस्मत से, यहां आज भी हरे-भरे बंगले मल्टीस्टोरी बिल्डिंगों से कहीं अधिक मात्रा में विद्यमान हैं। लिहाजा चारों तरफ आज भी काफी हरियाली है। बाहर की सड़कों और अंदर की गलियों में भी तुलनात्मक रूप से ट्रैफिक कम रहता है। इसलिए इस क्षेत्र में काफी बड़ी संख्या में तितलियां और चिड़ियाएं दिखाई देती हैं।
यही कारण है कि इस क्षेत्र में पक्षी ज्यादा स्वछंदता के साथ विचरण करते हैं और थोड़े से जवान इंसानी जोड़े भी! इलाके में पेड़ों के कारण छोटे-छोटे पक्षी हैं तो स्वाभाविक रूप से Raptors भी काफी बड़ी संख्या में हैं।
Raptor मतलब एक मांसाहारी, औसत से बड़े आकार का पक्षी जैसे बाज, चील, उल्लू या गिद्ध। इनकी चोंच नुकीली, पंजे बड़े और तीखे होते हैं। ये मुख्य रूप से शिकार से प्राप्त मांस या सड़े हुए मांस पर निर्भर करते हैं।
(वैसे यहां सुनसान गलियों में सुबह-सुबह या देर रात को इंसानी Raptors भी पाए जाते हैं जो मोबाइल और चेन खींचने का काम आसानी से कर लेते हैं! खास अंतर नहीं है दोनों Raptors में!)
चलो अब फिर छत पर चलते है, वहां सिर्फ आकाशीय Raptors मिलेंगे। हमारी छत से भी रेस कोर्स क्षेत्र की चारों तरफ की काफी हरियाली दिखाई देती है। छत से दिखाई देने वाले कुछ पेड़ जिन्हें हम सभी आसानी से पहचान सकते हैं, वो हैं: आम, जामुन, जाम, बेल, इमली, विलायती इमली, नीम, आकाश नीम, फाइकस, सप्तपर्णी, यूकेलिप्टस, पाम, बड़, मोरसली खजूर, पीपल, गोंद, पपीता, सीताफल, मोरिंगा, आदि। और इसके अलावा कई प्रकार के अन्य पेड़ भी दिखाई देते हैं। कुछ Pine टाइप या क्रिसमस ट्री टाइप के पेड़ भी दिखाई दे जाते हैं। हमारी छत से उषा राजे होलकर स्टेडियम की फ्लड लाइट्स भी दिखाई देती हैं और शेल्बी हॉस्पिटल का पिछवाड़ा भी।
चूंकि हम लगभग चार दशकों से जंगलों में फूल/पत्तियों/कीट पतंगों/पशु/पक्षियों को देखने के शौकीन और आदी रहे हैं; इसलिए हमें छत से भी बहुत सारे पक्षी दिखाई देने लगे। बहुत जल्द ही हम दूरबीन और कैमरा भी अपने साथ छत पर ले जाने लगे। लगभग एक साल तक सतत पक्षी विहारन (Bird Watching) और उनका छायांकन ( Photography) किया है। बताते चलें, हमारा कैमरा साधारण एंट्री लेवल का DSLR है - Canon 1200 D.
वैसे तो हम सभी को ईश्वर ने एक जोड़ी सुंदर, ऑटोमैटिक, ऑटोफोकस, फंगस रहित, Maintenance Free लैंस प्रदान किए हैं। लेकिन हम लोग इन लैंस को कम आंक कर कैमरे को ज्यादा महत्व देते हैं। Bird Watching में भी!
परंतु हमारी श्रीमती जी कैमरे में अधिक विश्वास नहीं करती हैं! इनकी पैनी नज़र से कोई कीट, पतंगा, तितली या चिड़िया बच नहीं सकती है। अगर कोई इनकी नजरों से बच भी गया तो इनके बायनोक्यूलर में कैद हो जाता है!
फिर हम इनके दिखाए रास्ते पर चलते हैं और काफी प्रयत्नों से कुछ फोटो खींच लेते हैं! दस फोटो खींचते हैं तो एक तमीज की दिखाई देती है! हमारी खींची हुई कोई भी फोटो अवार्ड जीतने लायक तो बिलकुल ही नहीं है। लेकिन कुछ फोटो शायद आपका दिल जीत सकती हैं।
लॉक डाउन खतम होने के बाद फिर से 'फालतू' सांसारिक कामों में लग गए। लेकिन फिर भी कभी-कभी छत पर चले जाते हैं। पिछले साल (2023) तक छत से जो हरियाली दिखाई देती थी वो इस साल काफी कम हो गई है क्योंकि चार बड़े पेड़ कट चुके हैं। शायद मकानों पर सोलर पैनल लगाने के लिए धूप के जरूरत है इसलिए पेड़ काट दिए गए। यही कारण है कि अब ये सब लिखने की इच्छा हो रही है ताकि हरियाली की यादें बनी रहें, हरियाली रहे या न रहे:(
कहने को तो हमने कई NGOs और Forest Department के साथ बहुत सारे जंगलों के बर्ड्स और बटरफ्लाई सर्वे में भाग लिया है; लेकिन ईमानदारी से हमें बर्ड्स और बटरफ्लाईस के बारे में बहुत अधिक ज्ञान नहीं है। लेकिन प्रकृति को मान देना और प्रकृति की सुंदरता की प्रशंसा करना जरूर आता है। ये ब्लॉग प्रकृति की इन छोटी कृतियों के लिए और प्रकृति प्रेमियों के लिए ही लिखा जा रहा है।
इस छोटी सी छत से हमने कई सुंदर, आश्चर्जनक और विस्मयकारी कारनामे देखे हैं। और यही अनुभव आपसे साझा करने की इच्छा है। आप हमसे विस्तृत ज्ञान और अदभुत फोटोग्राफ की कोई उम्मीद कतई न करें। सिर्फ ये जानें कि रोजमर्रा की बर्ड वाचिंग के लिए आपको बहुत दूर किसी नेशनल पार्क या अभ्यारण्य में जाने की जरूरत नहीं है। बहुत सारी चिड़ियाएं आपकी खिड़की के बाहर बैठी मिल सकती हैं। कुछ छत पर से भी नजर आ सकती हैं। बाकी आसपास के बाग बगीचों में तो हैं ही। ईश्वर प्रदत्त लैंस काफी है प्रकृति की सुंदरता देखने की शुरुआत के लिए।
इंदौर और इंदौर के आस पास लगभग 300 प्रजातियों की चिड़ियाएं पाई जाती हैं। इनमें से लगभग 60 प्रजातियों को हमने इस छोटी सी छत से देखा है और इनके तस्वीरें भी ली हैं।
पांच मंजिला इमारत की छत से पक्षियों को देखने से कई छोटी चिड़ियाओं का पृष्ठीय दृश्य (Dorsal View) भी अच्छे से देखने को मिल जाता है। जंगल में आप नीचे से फोटो लेते हैं तो सिर्फ उदर दृश्य ( Ventral View) ही दिखाई पड़ता है और Dorsal View कई बार रह जाता है। इस ब्लॉग में आपको बहुत सारी चिड़ियाओं के Dorsal View अच्छे से देखने को मिलेंगे।
इस ब्लॉग में हम इन्ही लगभग 60 चिड़ियाओं के बारे में बातें करेंगे। इनमें से कुछ को छोड़कर बाकी सभी चिड़ियाएं काफी कॉमन हैं जो आपको इंदौर में कहीं भी दिखाई दे सकती हैं। चिड़ियाओं का वर्णन किसी निश्चित क्रम में नहीं किया जाएगा। चिड़ियाएं भी कभी किसी क्रम में नमूदार नहीं होती हैं!
चिड़ियाओं के बारे में ज्यादा तकनीकी जानकारी नहीं दी जाएगी। वो सब तो आसानी से विकिपीडिया पर और अन्य स्रोतों पर उपलब्ध है।
तो ये हो गई रेस कोर्स रोड के पक्षियों के ब्लॉग की भूमिका! सबसे पहले बात करेंगे पतरिंगा याने Green Bee Eater की। अगले अंक में...
पंकज खन्ना
9424810575
मेरे कुछ अन्य ब्लॉग:
हिन्दी में:
तवा संगीत : ग्रामोफोन का संगीत और कुछ किस्सागोई।
ईक्षक इंदौरी: इंदौर के पर्यटक स्थल। (लेखन जारी है।)
रेल संगीत: रेल पर फिल्माए गए गानों के बारे में।
अंग्रेजी में:
Love Thy Numbers : गणित में रुचि रखने वालों के लिए।
Epeolatry: अंग्रेजी भाषा में रुचि रखने वालों के लिए।
CAT-a-LOG: CAT-IIM कोचिंग।छात्र और पालक सभी पढ़ें।
Corruption in Oil Companies: HPCL के बारे में जहां 1984 से 2007 तक काम किया।