(1) पतरिंगा (Little Green Bee Eater 💚)
पंकज खन्ना
9424810575
Posted on 1/01/2025
इस ब्लॉग सिरीज़ की पिछली परिचयात्मक पोस्ट में रेस कोर्स रोड इंदौर के पक्षियों के बारे में सतही तौर पर हल्की सी भूमिका बांधी गई है और ब्लॉग का उद्देश्य बताया गया है। आप चाहें तो ऊपर दिए लिंक को क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
अब शुरू करते हैं रेस कोर्स रोड इंदौर के इन पक्षियों की कहानियां। लगभग साठ पक्षी और साठ कहानियां! दो साल पहले ही सठिया चुके हैं, साठ कहानियां तो बनती हैं!
सबसे पहला पक्षी जिसके बारे में हम चर्चा करने जा रहे हैं वो है: पतरिंगा मतलब Green Bee Eater 💚( Merops orientalis). इसे चुनने के पीछे कारण ये है कि इस साल रेस कोर्स रोड पर इनके बड़े झुंड की संख्या में भारी गिरावट देखी है। कारण सिर्फ एक ही दिखाई देता है: पेड़ों की कटाई। (अधिक जानने के लिए पिछले लेख को पढ़ सकते हैं।)
पिछले कई सालों से हमारे अपार्टमेंट की खिड़कियों से और बिल्डिंग की छत से इन पतरिंगों के बड़े-बड़े झुण्डों ( 400-500) को निहारते रहने की आदत सी हो गई थी। लेकिन इस साल अक्टूबर 2024 से लेकर 30 दिसंबर तक एक बार में अधिकतम 30 पतरिंगे ही दिखाई दिए हैं। बस यही कारण है कि तवा संगीत, रेल संगीत और बावा आदि ब्लॉग को अल्प विराम देकर पक्षियों पर भी कुछ लिखने की इच्छा हो रही है।
रेसकोर्स रोड पर हर साल अक्टूबर के पहले हफ्ते में इन पतरिंगों का आगमन शुरू हो जाता है और ये लगभग मार्च तक यहीं बसेरा करते हैं। पिछले साल हमने 50 मीटर के रेडियस (त्रिज्या) में, आसमान में 400 से 500 पतरिंगो के झुण्ड कई दिनों तक लगातार देखे थे: कुछ पेड़ों पर विराजमान, कुछ बिजली आदि की तारों पर और कुछ आसमान में कलाबाजियों के साथ शिकार करते हुए।
उपरोक्त फोटो के पीछे दिखाई दे रहा पेड़ अब नहीं रहा। और तीन अन्य ऐसे ही पेड़ भी जाते रहे। पेड़ चले गए तो कीड़े मकोड़े भी कम हो गए। अब क्या करेंगे पतरिंगे यहां आकर?
(अब जब भी छत से इन पतरिंगा विहीन तारों को देखते हैं तो मन गा उठता है: चल उड़ जा रे पंछी के अब ये देश हुआ बेगाना।)
ये पक्षी LC ( Least Concerned ) Category में आता है। मतलब इनका अस्तित्व अभी तो खतरे में नहीं है। हमें विश्वास है कि ये पतरिंगे यहां नहीं तो कहीं और जरूर अपनी छटा बिखेर रहे होंगे। पर कब तक!?
पहले इन मॉडल्स रूपी पतरिंगों का छोटा सा रंग-बिरंगा पोर्टफोलियो देख लेते हैं। बातें तो चलती रहेंगी।
जैसा हम आपको पहले परिचयात्मक लेख में ही बता चुके हैं कि ये फोटो अवॉर्ड तो नहीं पर कुछ लोगों का दिल जरूर जीत सकती हैं क्योंकि ये पक्षी होते ही इतने सुंदर हैं!
अब पतरिंगों के बारे में थोड़ी बात आगे बढ़ाते हैं। हिंदी/ संस्कृत में इसे साधारणतः कहते हैं हरियल पतरिंगा 💚 या पतरिंगा या पतुरी। क्योंकि ये पत्तों के रंग का मतलब हरे रंग का होता है इसीलिए इसे पतरिंगा या पतुरी कहते हैं। पतरिंगा के संस्कृत/हिंदी में कुछ अन्य नाम इस प्रकार से हैं: मधुमक्षिकाखादकः, पक्षिप्रभेदः, सरघाभुज् , दिव्यक, और मधुकराश आदि।
मधुमक्षिकाखादकः मतलब मधुमक्खी खाने वाला। पक्षिप्रभेदः मतलब बाण रूपी पक्षी। शायद इनकी चोंच या पूंछ को बाण या तीर स्वरूप माना गया है। गणितज्ञों को शायद इनके चेहरे में सरघाभुज् (Rhombus) नजर आता है।
पतरिंगा एक सुंदर, रंग-बिरंगी, पतली चिड़िया है। पूंछ सहित इसका आकार लगभग 9 इंच लंबा होता है । नर और मादा एक समान दिखाई देते हैं। पंख चमकीला हरा होता है। ठोड़ी और गले पर नीला रंग होता है। मुकुट (Crown) और ऊपरी पीठ सुनहरे लाल रंग से रंगी होती है। उड़ान के पंख हरे, लाल और काले रंग के होते हैं। कुल मिलाकर इस चिड़िया के रंग बहुत मनभावन और इंद्रधनुषी होते हैं।
इनकी आंख के सामने और पीछे एक गहरी काली रेखा चलती है। ये काली रेखा पुरानी हिंदी फिल्मों के विलेन के गॉगल की याद कराती है। मधुमक्खियों और अन्य उड़ने वाले कीड़ों के लिए ये हैं ही विलेन। परितारिका (आंख के अंदर स्थित पतली वृत्ताकार संरचना, अंग्रेजी में बोलें तो Iris ) लाल रंग की होती है और चोंच काली होती है जबकि पैर गहरे भूरे रंग के होते हैं। पैर कमजोर होते हैं जिसमें तीन पंजे आधार पर जुड़े होते हैं।
जैसा कि उनके नाम Green Bee Eater या मधुमक्षिकाखादकः से पता चलता है, ये मुख्य रूप से मधुमक्खी और अन्य उड़ने वाले कीड़े खाते हैं।
शिकार के समय इनकी पसंदीदा जगह पेड़ों की बाहरी टहनियां या बिजली आदि की तारें होती हैं। बिजली की तार से पतली इनकी पूंछ होती है। (आप चाहें तो पार्श्व में स्वर्गीय शारदा सिन्हा का गाया गाना तार बिजली से पतले हमारे पिया बजने दें। बस यूं ही! अच्छा गाना जो है और तार बिजली की बात तो हो ही रही है! गाना नहीं सुनना है!? कोई बात नहीं!! पतरिंगा की संगीतमय आवाज़ सुनने के लिए इस लिंक को दबाएं!)
ये सुंदर पतरिंगे वृक्षों के आस-पास तारों पर 'मॉडल' की स्टाइल में हिलते-डुलते हुए, इतराते हुए बैठते हैं। उड़नेवाले कीट पतंगों की टोह लेते रहते हैं या बोलें तो कीड़े-मकोड़ों का 'माप' लेते रहते हैं। हवा में ही तारों से ऊपर या नीचे कलाबाजी खाते हुए मधुमक्खियों या अन्य कीट पतंगों के पंखों को दबोचकर फिर तार पर आ बैठते हैं। ये मॉडल ऐसे ही आता है, बावा!
फिर अपने शिकार को बार-बार टहनी की कठोर सतह या तार पर पटक-पटक कर, मारकर और रगड़कर उनका डंक निकाल देते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान, कीट पर चोंच से दबाव डाला जाता है, जिससे अधिकांश विष बाहर निकल जाता है। इसे कह सकते हैं विष दमन! ये एक दूसरे के शिकार की तरफ देखते भी नहीं हैं। कभी एक कीड़े पर दो पतरिंगों को हमला करते नहीं देखा। हम इंसान इनसे थोड़े अलग होते हैं। एक दूसरे के विरुद्ध विष वमन ही करते रहते हैं!
अक्सर ये सभी पतरिंगे तारों पर एक ही दिशा में बैठते हैं। कभी कभी खो-खो स्टाइल में भी बैठते हैं। सुबह-सुबह ये अपने पेड़ों से छोटे-छोटे ग्रुप में निकलते हैं और शाम को लौटते भी ऐसे ही हैं।
एक दिन में एक पतरिंगा लगभग 200 से 250 कीड़े खा लेता है। इस तथ्य से हम समझ सकते हैं कि ये पतरिंगे या अन्य पक्षी प्राकृतिक संतुलन के लिए कितने जरूरी हैं।
उम्मीद करते हैं कि अब और निरर्थक पेड़ कटाई नहीं होगी और ये पतरिंगे अगले साल बढ़ी संख्या में लौटकर आएंगे। 🙏
हमें पतरिंगों के झुंड से प्रेम हो गया था लेकिन वो तो उड़ गया। इस अति मधुर सुरमई गाने (पंछी उड़ गया प्रीत लगा के) को सुनकर प्यारे पतरिंगों को याद कर लेते हैं! हेमंत कुमार ने ये सुमधुर गीत गाया है। संगीत हिरेन बोस का है। लिखा राम मूर्ती ने है। फिल्म का नाम है: रामी धोबन (1953)।
हमें बहुत आश्चर्य होता है कि रामी धोबन-चंडीदास की प्रेम कहानी, फिल्म रामी धोबन (1953), संगीतकार हिरेन मुखर्जी और उनका ये श्रेष्ठ गीत कभी संगीत प्रेमियों के दिल में गहरे नहीं बैठ पाए।
और आश्चर्य इस बात का भी होता है कि अधिकतर पक्षी प्रेमी इन खूबसूरत पतरिंगों को ज्यादा भाव नहीं देते हैं।
हमें तो पतरिंगों के बड़े बड़े झुण्डों को याद करते-करते अंत में बस यही कहना है: सच में, पंछी उड़ गया प्रीत लगा के!
पंकज खन्ना
9424810575
मेरे कुछ अन्य ब्लॉग:
हिन्दी में:
तवा संगीत : ग्रामोफोन का संगीत और कुछ किस्सागोई।
ईक्षक इंदौरी: इंदौर के पर्यटक स्थल। (लेखन जारी है।)
रेल संगीत: रेल पर फिल्माए गए गानों के बारे में।
अंग्रेजी में:
Love Thy Numbers : गणित में रुचि रखने वालों के लिए।
Epeolatry: अंग्रेजी भाषा में रुचि रखने वालों के लिए।
CAT-a-LOG: CAT-IIM कोचिंग।छात्र और पालक सभी पढ़ें।
Corruption in Oil Companies: HPCL के बारे में जहां 1984 से 2007 तक काम किया।